बंसी पर विकास की धुन !
इतिहास के शुरुवाती पन्नों में दर्ज
है कि जब रोम जल रहा था तब नीरो बंसी बजा रहा था । धराधीश ने सुना तो बोले इसमें
आपत्तीजनक क्या है !?
दुनिया में सब जगह इतिहासकार इसी तरह के होते हैं क्या ! अच्छे में बुरा देखने
वाले ! रोम अगर जल रहा था तो उसमें नीरो क्या करे ! उसे बंसी बजाना आती थी तो बंसी
ही बजाएगा ना ?
हमारे यहाँ तानसेन गाना गा कर पानी बरसा देते थे । आप लोगों ने सुना होगा,
मैंने तो देखा भी है । हाँ मैंने देखा है । उस जमाने में मैं अकबर के दरबार में ही
था और जोधाबाई के मंदिर में पूजा करवाता था । ये तो ईश्वर क्रूपा है कि पिछले
जन्मों की बहुत सारी बातें मुझे याद हैं । तानसेन ने कई बार पानी बरसाया और लोग
भीग गए । क्योंकि तब छतरी नहीं होती थी,
चायना ने भी नहीं बनाई थी । अगर नीरो बेचारा बंसी बजा कर पानी बरसने का काम कर रहा
था तो बुरा कर रहा था क्या ? मैं
आपसे से पूछता हूँ कि नीरो बुरा कर रहा था क्या ?
पानी नहीं बरसा ये बात अलग है,
लेकिन उसकी कोशिश में कोई कमी थी क्या ? क्या
यह नहीं हो सकता है कि इसमें बादलों की गलती हो । हर कोई तानसेन हो भी नहीं सकता
है ।
आगे किसी ने लिखा है कि आग नीरो ने
ही लगवाई थी । लोग कहते हैं कि किसी और ने लगवाई होती तो नीरो बयान देता,
क़हता कि रोम की जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी । जब तक अपराधी पकड़े नहीं जाएंगे वह
खुद चैन से नहीं बैठेगा और सैनिकों को भी चैन से बैठने नहीं देगा । लेकिन वह तो
बंसी बजा रहा था । इतिहास वाले कहते हैं कि वो चैन की बंसी बजा रहा था !! मैं
पूछता हूँ ये चैन की बंसी कैसी होती है ?
कल को कोई तालाब किनारे जा कर मछलियों को
दाना चुगाएगा तो कहा जाएगा कि राजा चैन से दाना चुगा रहा था और सकल घरेलू उत्पाद
की शक्ल बिगड़ी हुई थी !! ये गलत दृष्टिकोण है,
इसे जितनी जल्दी खत्म किया जाए उतना ही जनता के हित में होगा । नीरो इसलिए बंसी
बजा रहा था क्योंकि उसे बंसी बजाना आता था
। सवाल यह भी है कि अगर उसे बंसी बजाना नहीं आता तो वह क्या करता जबकि रोम घू घू
कर जल रहा था । उसे भी दाने ही चुगाना पड़ते । दाने चुगाना गलत है क्या ?
कोई अच्छा काम करता हो तो उसमें मीनमेख निकालना लोगों की पुरानी आदत है ।
कुछ टिप्पणीकारों का मानना है कि
रोम तो उसी दिन से जल रहा था जिस दिन नीरो की माँ ने अपने पति राजा की हत्या
करके बेटे नीरो को गद्दी पर बैठाया था ।
लेकिन यह भ्रामक है । नीरो पुराने रोम को
जला कर नया रोम बनाना चाहता था । मितरों,
नया रोम बनाना गलत था क्या ?
नया नहीं बनाएँगे तो विकास कैसे होगा ? और
जब पुराना मिटेगा तभी तो नया बनेगा । सच बात तो यह है कि नीरो की बंसी से विकास की
धुन बज रही थी । इतिहासकारों को सही दृष्टि अपनाने की जरूरत है ।
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